संदेश

Sanjay Choubey लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इक्कीसवीं सदी में अंधविश्वास का महाविज्ञापन

        हाल में एक प्रमुख अखबार पर नजर पड़ी. अखबार के मुखपृष्ठ समेत दो पृष्ठों पर समाचारों की शक्ल में अद्भुत घोषणाएं छपीं थीं -  “आज से ही शुरू हो जायेगा सभी दुखों और कष्टों का अंत. इस अद्भुत पाठ को सुनने-करने मात्र से दरिद्र भी महाधनवान बन जाता है. प्रभु कृपा का सर्वशक्तिशाली महाविज्ञान. विश्व के करोड़ों लोगों ने पाई असाध्य कष्टों से मुक्ति.”       उपरोक्त बड़े हेडलाइनों के बाद समाचारों के छोटे टाइटल भी महत्वपूर्ण थे जो मंत्र अथवा दिव्य पाठ की महिमा प्रदर्शित कर रहे थे, उदहारणस्वरुप बिना ऑपरेशन के लीवर का गंभीर रोग ठीक / किडनी की पथरी समाप्त हो गई / 23 वर्ष बाद पक्ष में हुआ कोर्ट का फैसला / पांच साल पुराने मानसिक रोग से मुक्ति / 20 साल पुरानी बी पी की प्रॉब्लम से मुक्ति / चार वर्षों से अटका प्रमोशन हो गया आदि - आदि.                 यकीनन ऊपर जो लिखा है, वह समाचारों की शक्ल में विज्ञापन था. हम भांति-भांति के लुभावने विज्ञापन व लोगों के ध्यान आकर्ष...

हिन्दी में बोलना “उद्दंडता” है !

चित्र
(भारत के सबसे बड़े प्रांत की सरकार ने एक फैसला लिया है कि अब बच्चों को पहली कक्षा से ही अंग्रेजी की शिक्षा प्रदान की जायेगी. इस फैसले के पीछे के जो भी कारण हों, मेरी समझ से हिंदी में बोलना बदतमीजी है और इसीलिए अंग्रेज़ी सीखना आवश्यक है, आखिर बदतमीजी ठीक बात तो नहीं. पूरी विनम्रता से 2015 में लिखा गया यह लेख आपके लिए  हिंदी में  प्रस्तुत है क्योंकि अंग्रेज़ी मुझे आती नहीं. गुस्ताखी माफ़ हो !)   हिन्दी के नाम पर होने वाले बड़े राजकीय पर्वों का ‘ सितंबर माह ’ दस्तक दे रहा था। लगभग एक पखवाड़े बाद आयोजित होने जा रहे बहुचर्चित विश्व हिन्दी सम्मेलन की आयोजन स्थली भोपाल से मैंने यात्रा प्रारंभ की। वायुयान में मुझे ‘ इमरजेंसी गेट ’ के पास वाली सीट मिली थी। उड़ान की औपचारिकताओं को पूरा करने हेतु एयर होस्टेस ने जरूरत पड़ने पर आपातकालीन द्वार खोलने के संबंध मे बताना आरंभ किया। द्वार खोलने की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझने की खातिर मैंने फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोल रही एयर होस्टेस को बीच मे टोका और अनुरोध किया कि वे हिन्दी में समझाएँ। एयर होस्टेस ने मेरे पास बैठी सुदर्शन सहयात्रिणी से...