सीवर व सेप्टिक टैंक के शहीद
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा तिरंगे में लिपटे शव को कंधा देने की होड़ मची है. यह शहीद की शवयात्रा है. श्रद्धा से सिर अनायास ही झुके जा रहे है. सबकी आँखें नम हैं और बंद जुबानों में उसकी परम वीरता व अतुलनीय कुर्बानी की कहानी है. उसने देश की खातिर देश के दुश्मनों व आतंकवादियों की गोलियाँ झेली. लता मंगेशकर जब प्रदीप की पंक्तियों को गाती हैं तो पूरा देश रो पड़ता है – जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली ...