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वे ख़ास हैं - नारों में व 8 मार्च को...

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सुबह-सुबह आपकी नींद खुले और आप पायें कि कोई गुलाब का फूल हाथ में लेकर आपके जागने का इंतज़ार कर रहा है तो आपको निःसंदेह अच्छा लगेगा. इसके ऊपर वह यदि यह बताये कि वह आपके लिए ऐसा इसलिये कर रहा है क्योंकि आप बेहद ख़ास हैं ; आप अद्भुत हैं , आप अनोखे हैं – तो आपको और अच्छा लगेगा. आप अभिभूत हो उठेंगे. ऐसा होना लाज़िमी है, स्वाभाविक है और आपके साथ यदि ऐसा रोज होने लगे और आपके साथ यह व्यवहार कई लोग करने लगें तो निःसंदेह आपको यकीन हो चलेगा कि आप कुछ ख़ास हैं. फिर ख़ास हो जाने के बाद किसी दिन आप सड़क पर खड़े हो किसी के साथ किसी बात पर जोर से ठहाके लगाने के पश्चात जब अपनी दुनिया में वापस लौटें और आपको ख़ास कहने वाले लोग यह कहें कि आज सड़क पर आपने अपनी मर्यादा के अनुरूप व्यवहार नहीं किया क्योंकि ख़ास लोग इस तरह सरे राह लापरवाही से ठहाके नहीं लगाया करते. इस तरह से ठहाका लगाना छोटे लोगों का काम है. यकीन जानिये अब आप पर जादू चलना आरंभ हो चुका है – अब आप सरे राह खुलकर ठहाके नहीं लगा पायेंगे क्योंकि आपको अच्छा लगता है जब लोग आपको ख़ास कहते हैं. अब आप किसी भी हालत में ख़ास होने के इस ख़िताब को खोना नहीं चाहेंग...