सोमनाथ की पताका लहरा रही है !
"आज जिन लोगों को सोमनाथ याद आ रहे हैं, इनसे पूछिए कि क्या तुम्हें इतिहास पता है ? तुम्हारे परनाना, तुम्हारे पिता जी के नाना, तुम्हारी दादी माँ के पिता जी जो इस देश के पहले प्रधानमंत्री थे, जब सरदार पटेल सोमनाथ का उद्धार करवा रहे थे तब उनकी भौहें क्यों तन गईं थी." इक्कीसवीं सदी का आधुनिक व वैज्ञानिक भारत इस तंज पर जोर की ताली बजाता है तो इसके जवाब में डरे हुए लोग अपनी भक्ति व अपने नेता की भक्ति का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं - “सारा देश जानता है कि वे अनन्य शिवभक्त हैं और कहने की जरुरत नहीं कि वे न सिर्फ हिन्दू धर्म से हैं , बल्कि ‘जनेऊधारी ’ हिंदू हैं.” भजन-कीर्तन करते भारत के लिए पूजा-अर्चना आज किसी व्यक्ति का निजी मामला नहीं है. आज उसके प्रदर्शन का दौर है. समय धार्मिक उद्घोष का है , शंखनाद का है. कोई यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता कि ‘नहीं, मैं नहीं मानता !’ कोई यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता कि राजा (प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि जन प्रतिनधि) व राज्य को पंथनिरपेक्ष रहना है. पंथनिरपेक्षता...