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केशव नहीं आयेंगे, लेकिन हताश मत होना....

आखा तीज या अक्षय तृतीया से जुड़ी मान्यताओं की फेहरिश्त लंबी है. इसी दिन त्रेतायुग का आरम्भ हुआ था, गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थीं, महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत लिखवाना शुरू किया था, भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम व सौभाग्य की देवी अन्नपूर्णा का भी जन्म हुआ था और आखा तीज के दिन ही भगवान शिव ने कुबेर को धन – संपदा का प्राधिकार सौंपा था. तमाम मान्यताओं के साथ एक मान्यता यह भी है कि आखा तीज के दिन हुआ विवाह बहुत ही मंगलदायी सिद्ध होता है. विवाह हेतु सबकी मंगल कामना होती है लेकिन अगर अबोध बच्चों की शादी का आयोजन हो तो किसी भी विवेकी मन में आशंकाओं का घर करना स्वाभाविक है. साथ ही यह भी सत्य है कि मान्यताओं को विवेकी और तर्कशील बातें नहीं सुहाती क्योंकि उनका एक तर्क होता है –        “यह हमारी सनातन परंपरा है और इसे भगवान ने बनाया है.” राजस्थान में आखा तीज के दिन बाल विवाह की पुरानी परंपरा रही है जबकि सालों पहले इसे अपराध घोषित किया जा चुका है. तमाम प्रयासों के बावजूद इस आपराधिक कृत्य को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सका है. हाँ, इसे...