संदेश

भ्रूण हत्या लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बड़े भोले हो, पिता ! तभी तो मुझे जन्म लेने दे रहे हो !

चित्र
उन्नीस सौ नब्बे के दशक के आरंभ में बारहवीं परीक्षा पास करने के बाद थोड़े दिनों के लिए अपने बड़े भाई के यहाँ पानीपत गया था. बड़े भाई पानीपत के मॉडल टाउन में किराये के मकान में रहते थे. रेलवे स्टेशन से उनके आवास तक जाने के रास्ते में सुंदर मकानों व गाड़ियों को देख मैं विस्मित था. बीमारू प्रदेश के एक गाँव से चलकर मैं वहाँ पहुँचा था और उस छोटे से शहर की समृद्धि को देख मुझे बार-बार यही ख़याल आता रहा कि मैं कितने पिछड़े इलाक़े से हूँ और यह कितना आधुनिक शहर है. मेरी बोलती बंद सी हो गई थी. बड़े भाई जिस मकान में रह रहे थे उसके ठीक पड़ोस का मकान , मकान नहीं व्हाइट हाउस था. व्हाइट हाउस कहने मात्र से जो अहसास किसी धरतीवासी के अंदर हो सकता है , वही अहसास उस प्रासाद को देखकर मुझे होता था. मैं अपलक उसे निहारता रहता , उस घर के लोगों के बारे में तरह-तरह की रूमानी कल्पना करता – कितने मॉड – अल्ट्रा मॉड लोग होंगे ; अति आधुनिक.        मेरे प्रवास के दूसरे दिन शाम में व्हाइट हाउस की बालकनी पर लगभग बीस साल की एक मोटी लेकिन सुंदर लड़की अपने गोद में दस-ग्यारह महीने के एक लड़के के सा...