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इबादतगाह में सन्नाटा

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नज़रबंदी के इस दौर में हम एक-दूसरे का हाल-चाल कुछ अधिक ही पूछने लगे हैं. रंगीलाल जी बड़े पुराने मित्र रहे हैं. इधर कई सालों से उनसे बातचीत नहीं हो पाई थी , कल उनका फोन आया , " भैया , अब तो मानोगे कि कोई केन्द्रीय शक्ति है , जो इस दुनिया को चलाती है." रंगीलाल जी बड़े भोले इंसान हैं , वे अनावश्यक समय बर्बाद नहीं करते और मौक़ा मिलते ही सबको अपने रंग में रंगने लगते हैं. मैं क्या कहता , अमूमन मेरे पास कहने के लिए बहुत कुछ नहीं होता और रंगीलाल जी की बात तो ठीक ही थी. हमारे लिए एक मर्कज़ी साहिबे इख्तियार तो हैं ही , जिनके ऐलान के साथ हम सब अपनी मर्जी से नज़रबंद हो गए. ये बात दूसरी है कि जोश में कुछ बड़े साहब लोगों ने घंटा बजाने व शंख पूरने के लिए सड़क पर जुलूस निकाल लिया , जबकि मस्नदनशीं साहिबे इख्तियार ने अपने-अपने घरों से न निकलने की हिदायत दी थी. हो जाता है अक्सर , दिमागी-दड़बे की दीवार-ओ-छत के बेहद मजबूत होने पर होने लगता है ये सब.        खैर , रंगीलाल जी ने जिस केन्द्रीय शक्ति अथवा ईश्वर की बात की थी , उस ईश्वर के होने का सवाल लगातार मथता रहा है. सदियों से इंसान क...

भगत सिंह को कितना जानते हैं ??

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8 अप्रैल 1929 को असेम्बली हॉल में बम फेंकने के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा बांटे गए पर्चे में एक पंक्ति थी–            “ व्यक्तियों की हत्या करना तो सरल है , किन्तु विचारों की हत्या नहीं की जा सकती.”        लेकिन हम कमाल के बाजीगर लोग हैं. हम व्यक्ति विशेष को सदियों तक जिंदा रखने व उसके विचारों को आसानी से दफन करने का जादू जानते हैं. हमें ऐसा करने में बड़ी महारत हासिल है. व्यक्ति को जिंदा रखने का सबसे सरल उपाय है कि उस व्यक्ति विशेष की पूजा आरंभ कर दो और उसके विचारों को दफनाने का आसान तरीका है कि उसकी बातों/उसके विचारों को धर्म-ग्रंथ का दर्जा दे दो. इस तरह व्यक्ति देवदूत की भाति जीवित रहेगा लेकिन उसके विचार मर चुके होंगे, श्रद्धा के फूल व पवित्र अगरबत्ती की राख तले. लोगों को उसकी बातों से कोई मतलब नहीं होगा , हद से हद एकाध अधिक श्रद्धावान आदमी उसकी बातों को मंत्र अथवा आयत बनाकर, उन्हें बगैर समझे तोते की तरह दुहराता रहेगा.        विचारों पर विचार करना होता है. उसस...