संदेश

विष के दाँत लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जेएनयू और विष के दाँत

चित्र
       ‘न्यू इंडिया’ बनने के दौर में जेएनयू अनायास ही चर्चा के केंद्र में आ जाता है और इसके संबंध में तमाम अनर्गल बातें करते हुए हम अपनी महान सोच को व्यक्त करने लगते हैं. तमाम गलत चीजों से जोड़े जाने के बावजूद आज भी यह गिनती के उन चंद शिक्षण-संस्थानों में है जिसका उल्लेख भारत की सरकार अथवा भारतवासी विदेश में अथवा अपने विदेशी मित्रों से गर्व के साथ करते हैं कि हमारे पास भी एक विश्वस्तरीय संस्थान है. हालिया चर्चा जिस कारण से उपजी है , उसमें होना तो यह चाहिए था कि हर एक आम भारतीय जेएनयू के साथ खड़ा होता क्योंकि इस बहाने देशभर में शिक्षा के नाम पर चल रही लूट व शिक्षा क्षेत्र की दुर्दशा पर बड़े सवाल खड़े हो सकते थे. लेकिन हमेशा की तरह उसका ध्यान दूसरी ओर भटक ही गया.          देखते-देखते शिक्षा के सारे केंद्र - स्थानीय स्तर पर प्राइमरी स्कूल से लेकर उच्चतम पढ़ाई के संस्थान लाभ कमाने के केंद्र या कि लूट के अड्डे बन चुके हैं. यह सब हमारी आँखों के सामने घटित हुआ है. हम अपने गांव-शहर के सरकारी स्कूलों-कॉलेजों को तो बर्बाद होने से नहीं बचा पा...